कोई ख़दशा है न तूफ़ान बला कुछ भी नहीं अब न ग़म्ज़ा है न अंदाज़-ओ-अदा कुछ भी नहीं इश्क़ कहते हैं किसे हुस्न है क्या कुछ भी नहीं मेरी आँखें तिरी सूरत के सिवा कुछ भी नहीं कब से वीरान पड़ी है मिरे दिल की दुनिया कोई नग़्मा किसी पायल की सदा कुछ भी नहीं ज़हर से कम नहीं ये साग़र-ए-मय मेरे लिए तू नहीं है तो ये मौसम ये फ़ज़ा कुछ भी नहीं तेरे चेहरे पे क़यामत है हया की सुर्ख़ी रंग-ए-गुल रंग-ए-शफ़क़ रंग-ए-हिना कुछ भी नहीं