कोई मंसब कोई दस्तार नहीं चाहिए है शाहज़ादी मुझे दरबार नहीं चाहिए है आख़िरी अश्क से इस सोग की तकमील हुई अब मुझे कोई अज़ा-दार नहीं चाहिए है इस तकल्लुफ़ से ज़ियादा का तलबगार हूँ मैं सिर्फ़ ये साया-ए-दीवार नहीं चाहिए है अब मुक़ाबिल मिरे अपने हैं सौ ऐ रब्ब-ए-जलील हौसला चाहिए तलवार नहीं चाहिए है चाहिए है मुझे इंकार-ए-मोहब्बत मिरे दोस्त लेकिन इस में तिरा इंकार नहीं चाहिए है आख़िर आज़ा ने मिरे साथ बग़ावत कर दी अब क़बीले को ये सरदार नहीं चाहिए है