कोई शफ़क़त भरी सरकार नहीं है घर में जब से बाबा की वो दस्तार नहीं है घर में उम्र की बढ़ती थकन साँस की बीमार घुटन एक कमरा भी हवा-दार नहीं है घर में दुख सुनाएँ कभी घबराएँ तो सर टकराएँ इस तरह की कोई दीवार नहीं है घर में कभी आवाज़ में मरहम कभी माथे पे शिकन मैं समझती थी अदाकार नहीं है घर में मोह लेता है वो गुफ़्तार से दुनिया भर को बात करने का रवादार नहीं है घर में जान ले लेते हैं कुछ सर्द रवय्ये अक्सर हम समझते हैं कि तलवार नहीं है घर में वो अयादत के बहाने से अगर आ भी गया उस से कह देना कि बीमार नहीं है घर में कौन है जो तुम्हें जाते हुए रोकेगा 'सहर' कुछ रुकावट कोई इंकार नहीं है घर में