कोई तो है कि नए रास्ते दिखाए मुझे हवा के दोश पे आए ग़ज़ल सुनाए मुझे किसे ख़बर है कि जीता हूँ जागता हूँ मैं वो एक शख़्स हर इक मोड़ पर बचाए मुझे लरज़ते पाँव भी मेरे असा-ब-दस्त भी मैं वो बाज़ुओं पे उठाए कभी चलाए मुझे है उस के नाम की माला मिरे लबों का सुबू मैं उस को शेर सुनाऊँ वो गुनगुनाए मुझे वो आइना है तो अक्स-ए-सहर हूँ मैं लेकिन वो अपने आप को देखे कभी सजाए मुझे दुखों के सर्द निवाले ग़मों की गर्म ज़बाँ हँसी हँसी में छुपाए कभी दिखाए मुझे