कोशिशें कर के दिल बुरा किया था उस परिंदे को जब रिहा किया था कम अज़िय्यत में जान छूट गई अपने क़ातिल से मशवरा किया था ख़ाक से जितना ज़हर जज़्ब किया अपनी शाख़ों से रूनुमा किया था मैं ने इक दिन बिठा के बच्चों को अपने अज्दाद का गिला किया था हम से सरज़द हुआ था कार-ए-ख़ैर क्या बताएँ कि हम ने क्या किया था वैसे वो मेरी दस्तरस में है एहतियातन मुहासरा किया था