क्यूँ जेब में मुल्ला मिरी तक़दीर लिए है क्यूँ राह का हर मोड़ कोई पीर लिए है करता है शब-ओ-रोज़ जो सरकार की तारीफ़ ये शख़्स भी शायद कोई जागीर लिए है सर एक भी मैं ने यहाँ ऊँचा नहीं देखा पागल है जो अब हाथ में शमशीर लिए है हर पेड़ से आती है मिरे दोस्त की ख़ुश्बू हर फूल मिरे शोख़ की तस्वीर लिए है इक अजनबी मिलता है बड़े प्यार से 'अख़्तर' क्या वो भी कोई हसरत दिल-गीर लिए है