क्यूँ कि कहिए कि अदा-बंदी है शाएरी क्या है हवा-बंदी है ख़म-ए-गेसू को छुआ था किस के शब से गुलशन में सबा-बंदी है क्यूँकि हम ख़ून न रोएँ शब-ए-ईद यार मशग़ूल-ए-हिना-ए-बंदी है दर पे बैठे हैं तिरे बे-ज़ंजीर ये अजब तरह की पाबंदी है नहीं पढ़ता मिरा नुस्ख़ा अत्तार बस-कि मसरूफ़-ए-दवा-बंदी है शोख़ मज़मूँ से हज़र करते हैं शेर में जिन के हया-बंदी है मुज़्दा ऐ हसरत-ए-नज़्ज़ारा कि वाँ गिर्द चिलमन के रिदा-बंदी है हर नफ़स ताज़ा ग़ज़ल कहते हैं हर नफ़स ताज़ा नवा-बंदी है 'मुसहफ़ी' शेर में तो याद हमें ज़ोर-सूरत की अदा-बंदी है