कुछ ऐसे दो-जहाँ से राब्ता रक्खा गया है By Ghazal << इश्क़ में आबरू ख़राब हुई हम लोग न निकले तो सफ़र कौ... >> कुछ ऐसे दो-जहाँ से राब्ता रक्खा गया है कि इन ख़्वाबीदा आँखों को खुला रक्खा गया है मिरी आँखों में अब तू रेत पाएगा न पानी यहाँ दरिया न सहरा बस ख़ला रक्खा गया है पस-ए-पर्दा गले मिल कर वो शायद रो पड़ेंगे जिन्हें पूरी कहानी में जुदा रक्खा गया है Share on: