कुछ लोग जी रहे हैं ख़ुदा के बग़ैर भी सन्नाटे गूँजते हैं सदा के बग़ैर भी मिट्टी की मुम्लिकत में नुमू की ज़कात पर ज़िंदा हैं पेड़ आब-ओ-हवा के बग़ैर भी ये नफ़रतों के ज़र्द अलाव न होंगे सर्द फैलेगी आग तेज़ हवा के बग़ैर भी रब्त-ओ-तअल्लुक़ात का मौसम नहीं कोई बारिश हुई है काली घटा के बग़ैर भी दुनिया के कार-ज़ार में बच्चों को माओं ने रुख़्सत किया है हर्फ़-ए-दुआ के बग़ैर भी ख़ौफ़-ए-ख़ुदा में उम्र गुज़ारी तो क्या मिला कुछ दिन जिएँगे ख़ौफ़-ए-ख़ुदा के बग़ैर भी