कुछ सहमी शरमाई ख़ुशबू रात गए घर आई ख़ुशबू आँख के रोशन-दान से उतरी दिल में एक पराई ख़ुशबू आज़ादी का हाथ पकड़ कर बाज़ारों में आई ख़ुशबू तेज़ बहुत बाज़ार था अब के मेरे हाथ न आई ख़ुशबू थक कर बासी हो जाने से पहले घर लौट आई ख़ुशबू रात के सन्नाटों में बोले ख़ामोशी तन्हाई ख़ुशबू