कुछ सोचों के कुछ फ़िक्रों के कुछ थे एहसासात के नाम जितने भी पत्थर आए सब आईना-ए-जज़बात के नाम उन की निगाहें बे-परवा हैं कुछ भी नहीं जज़्बात के नाम वक़्फ़ किए हैं जिन लोगों ने दिन के उजाले रात के नाम तपते हुए सहरा में जैसे शबनम की बे-रंग नुमूद जाने कितने ख़त लिक्खे हैं मैं ने भी बरसात के नाम वक़्त के होंटों पे रक़्साँ हैं मस्ती का इक राग लिए सुब्ह-ए-क़यामत के हंगामे हुस्न-ए-मौजूदात के नाम मौज-ए-सुकूँ के साथ मिले ज़ंजीर-ए-अलम बे-ताबी-ए-दिल हम ने कितनी दौलत पाई उल्फ़त की सौग़ात के नाम उन की तमन्ना मेरी कोशिश बाहम वा'दे और क़स्में कुछ मेरी तक़दीर के सदक़े बाक़ी सब हालात के नाम सजी हुई है अदब की महफ़िल हाल के ऐसे नग़्मों से बे-मक़्सद बे-कैफ़ किताबें हुस्न-ए-तख़लीक़ात के नाम हसरत-ओ-अरमाँ बज़्म-ए-तसव्वुर दामन-ए-सहरा दस्त-ए-जुनूँ ख़ुशियों के पैग़ाम हैं 'ख़ालिद' ग़म के हसीं लम्हात के नाम