कुछ दहशत हर बार ख़रीदा जब हम ने अख़बार ख़रीदा सच पे सौ सौ पर्दे डाले सपना इक बीमार ख़रीदा उस के भीतर भी जंगल था कल जिस ने घर-बार ख़रीदा एक मुश्त में दिल दे आया टुकड़ा टुकड़ा प्यार ख़रीदा भोली सी मुस्कान की ख़ातिर कितना कुछ बे-कार ख़रीदा हम बे-मोल लुटा देते हैं तुम ने जो हर बार ख़रीदा प्यार से भी हम मर जाते हैं आप ने क्यूँ हथियार ख़रीदा