कुछ है ख़बर फ़रिश्तों के जलते हैं पर कहाँ जाती है बे-अदब निगह-ए-पर्दा-दर कहाँ ये शम-ओ-अंजुमन ये मय-ओ-जाम ये बहार मेहमान रात भर के हैं वक़्त-ए-सहर कहाँ नज़्ज़ारा-ए-जमाल है गो जान-ए-ज़िंदगी वारफ़्ता-ए-जमाल को फ़ुर्सत मगर कहाँ दिल अर्श-गाह-ए-हुस्न है दिल जल्वा-गाह-ए-नाज़ ये आप ही का घर है हमारी गुज़र कहाँ है वक़्त-ए-नज़अ' और ग़म-ए-इश्क़ दूर दूर जाता है साथ छोड़ के ये हम-सफ़र कहाँ इस बे-ख़ुदी-ए-शौक़ में 'अबरार' किस को होश मंज़िल कहाँ है मैं हूँ कहाँ राहबर कहाँ