कुछ न कुछ मान सलामत है अभी एक इम्कान सलामत है अभी खींच सकता हूँ ग़म-ए-दिल का सुरूर इतना सामान सलामत है अभी इक मुसलमान का सर काटा गया इक मुसलमान सलामत है अभी मेरी बेटी मिरे विर्से की अमीं ये क़लम-दान सलामत है अभी इन हवाओं में नमी है 'राहिल' कोई इंसान सलामत है अभी