कुंडी बजा के इस लिए भागा नहीं हूँ मैं दिखता नहीं किसी को तो सोचा नहीं हूँ मैं पिछले बरस की बात है कुछ लोग आए थे दस्तक सुनी तो कमरे से चीख़ा नहीं हूँ मैं जाने मैं किस का जिस्म हूँ और किस के पास हूँ ढूँडा है ख़ुद को हर जगह मिलता नहीं हूँ मैं ले जाओ मुझ को मुझ से मगर एक बात है लम्बे सफ़र के वास्ते अच्छा नहीं हूँ मैं साया हूँ और दिन ढले बुझ-वुझ गया हूँ क्या देखा है आज आइना दिखता नहीं हूँ मैं नाख़ुन चुभो के भाँप लो मुझ में मिरा वजूद कितना हूँ अपने-आप में कितना नहीं हूँ मैं मुमकिन है ये मलाल तुम्हें भी फ़रेब दे जैसा मुझे बनाया था वैसा नहीं हूँ मैं इक इक दुकाँ से पूछा कि मैं दस्तियाब हूँ इंकार सुन के बुझ गया अच्छा नहीं हूँ मैं