क्या बताएँ तुम्हें कहाँ दिल है By Ghazal << ज़मीं के हाथ में हूँ और न... म्याँ क्या हो गर अबरू-ए-ख... >> क्या बताएँ तुम्हें कहाँ दिल है रोंगटा रोंगटा यहाँ दिल है ले चुके दिल तो हँस के फ़रमाया कहिए अब आज-कल कहाँ दिल है एक ग़ुंचा है देखने में मगर ग़ौर कीजिए तो गुल्सिताँ दिल है है वो नावक-फ़गन शरफ़ जिस के नावक-ए-आह की कमाँ दिल है Share on: