क्या है दुनिया दिल-ए-नादान ने समझा क्या है गाहे ग़म गाहे ख़ुशी और यहाँ रक्खा क्या है सिर्फ़ आ'माल हैं इंसाँ का असासा क्या है छोड़ कर जाना है सब कुछ यहाँ अपना क्या है ठोकरें खाई हैं जिस ने ज़रा उस से पूछो तुम ने दहलीज़ के पत्थर को भी समझा क्या है ये क्या समझेंगे वफ़ा रस्म-ए-मोहब्बत अख़्लाक़ आज के दौर के इंसान ने देखा क्या है फूल और फल की तमन्ना तो है जाएज़ लेकिन ग़ौर इस पर भी करें आप ने बोया क्या है किसी मा'ज़ूर का बेकस का उड़ाओ न मज़ाक़ क्या पता अपने मुक़द्दर में भी लिक्खा क्या है ज़िंदगी से है मिरी लिपटी हुई गर्द-ए-सफ़र मैं ने देखा है जहाँ आप ने देखा क्या है अंधी तक़लीद न कर सोच समझ देख 'शफ़क़' रुख़ हवा का है किधर वक़्त का मंशा क्या है