क्या हुए आशुफ़्ता-काराँ क्या हुए याद-ए-याराँ यार-ए-याराँ क्या हुए अब तो अपनों में से कोई भी नहीं वो परेशाँ रोज़गाराँ क्या हुए सो रहा है शाम ही से शहर-ए-दिल शहर के शब-ज़िंदा-दाराँ क्या हुए उस की चश्म-ए-नीम-वा से पूछियो वो तिरे मिज़्गाँ-शुमाराँ क्या हुए ऐ बहार-ए-इंतिज़ार-ए-फ़स्ल-ए-गुल वो गरेबाँ-तार-ताराँ क्या हुए क्या हुए सूरत-निगाराँ ख़्वाब के ख़्वाब के सूरत-निगाराँ क्या हुए याद उस की हो गई है बे-अमाँ याद के बे-यादगाराँ क्या हुए