क्या इरादे हैं वहशत-ए-दिल के By Ghazal << क्यूँ ख़याल-ए-रंज-ओ-राहत ... किस को मेहरबाँ कहिए कौन म... >> क्या इरादे हैं वहशत-ए-दिल के किस से मिलना है ख़ाक में मिल के ऐ दिल-ए-शिकवा-संज क्या गुज़री किस लिए होंट रह गए सिल के मिटते जाते हैं राह-ए-उम्र में दोस्त मिल रहे हैं निशान मंज़िल के छोड़ 'नातिक़' फ़ज़ा-ए-बज़्म-ए-शिकस्त उठ के टुकड़े सँभाल ले दिल के Share on: