क्या ज़रूरी है शाएरी की जाए दिल जला कर ही रौशनी की जाए बाज़ चेहरे बहुत हसीन सही फिर भी कितनों से दोस्ती की जाए इक मुसलसल शिकस्त का एहसास ऐसी ख़्वाहिश न फिर कभी की जाए ये मोहब्बत के जो तक़ाज़े हैं इन तक़ाज़ों में कुछ कमी की जाए अब भी कुछ लोग ये समझते हैं ज़हर पी कर ही ख़ुद-कुशी की जाए मैं ने ये फ़ैसला किया है 'नशात' फ़ैसलों में भी अब कमी की जाए