क्या कहूँ तुम से मैं यारो कौन हूँ हूँ सरापा क़ैस-ए-सहरा-ए-जुनूँ चश्म-ए-ख़ूँ-अफ़्शाँ मिरी रो दें अगर दश्त हो जावे अभी दरिया-ए-ख़ूँ दार पर रक्खें मुझें मंसूर-वार फ़ाश कर दूँ मैं अगर राज़-ए-दरूँ इश्क़ है गंजीना-ए-असरार-ए-हक़ पा नहीं सकती इसे अक़्ल-ए-ज़बूँ कौन कर सकता है मुझ दीवाना कौन क़ैद जुज़ ज़ंजीर-ओ-ज़ुल्फ़-ए-पुर-फ़ुसूँ रू-ब-रू मस्तान जाम-ए-इश्क़ के दीन क्या है और क्या दुनिया-ए-दूँ अब तो 'आसिम' इश्क़-ए-ख़ादिम-शाह में हूँ सरापा क़ैस-ए-सहरा-ए-जुनूँ