क्या करता मैं हम-अस्रों ने तन्हा मुझ पर छोड़ दिया सब ने बोसा दे कर सच का भारी पत्थर छोड़ दिया ढीला पड़ता था सूली का फंदा उस की गर्दन पर मेरे क़ातिल को मुंसिफ़ ने फ़िदया ले कर छोड़ दिया दरिया के रुख़ बहने वाली मछली मुर्दा मछली है उस कश्ती की ख़ैर नहीं है जिस ने लंगर छोड़ दिया शोलों की इस हमदर्दी पर दिल में लावा पकता है जब सारी बस्ती फूंकी थी क्यूँ मेरा घर छोड़ दिया सूरज ने भी सोच समझ कर जाल बिछाए किरनों के शबनम शबनम डाका डाला और समुंदर छोड़ दिया सारा घर सोता है दो घंटे में आएगा अख़बार आज 'मुज़फ़्फ़र' पाँच बजे ही कैसे बिस्तर छोड़ दिया