क्या ख़बर थी राज़-ए-दिल अपना अयाँ हो जाएगा क्या ख़बर थी आह का शोला ज़बाँ हो जाएगा हश्र होने दे सितमगर हम दिखा देंगे तुझे प्यारा प्यारा ये गरेबाँ उँगलियाँ हो जाएगा रात भर की हैं बहारें शम्अ क्या परवाना क्या सुब्ह होते होते रुख़्सत कारवाँ हो जाएगा हश्र में इंसाफ़ होगा बस यही सुनते रहो कुछ यहाँ होता रहा है कुछ वहाँ हो जाएगा इस को कहते हैं जहाँ में लोग सच्ची उल्फ़तें तीर जब दिल से खिचेगा तो कमाँ हो जाएगा आड़ी सीधी पड़ती हैं नज़रें तुम्हीं पर आज तो मजमा-ए-तार-ए-नज़र क्या बद्धियाँ हो जाएगा है यही रंग-ए-सुख़न तो 'शाइर' शीरीं-ज़बाँ तू भी इक दिन तूती-ए-हिन्दुस्ताँ हो जाएगा