क्या क्या न दवा खाई ला-हौल वला क़ुव्वत आई न तवानाई ला-हौल वला क़ुव्वत हम को ग़म-ए-फ़ुर्क़त में दो दिन ही बुख़ार आया क्या शक्ल निकल आई ला-हौल वला क़ुव्वत मुश्किल से सँभाला था हम ने दिल-ए-नादाँ को फिर चल पड़ी पुरवाई ला-हौल वला क़ुव्वत हम गैस पे रक्खे हैं और उन को इधर आए अंगड़ाई पे अंगड़ाई ला-हौल वला क़ुव्वत फिर शोर किया उस ने फिर आ गए घर वाले फिर दाल न गल पाई ला-हौल वला क़ुव्वत सब मीट मटन ग़ाएब परहेज़ पे ला'नत हो जब देखिए चौलाई ला-हौल वला क़ुव्वत घर में तो सभी सूतें हर रोज़ चिकन और हम मजबूर तमाशाई ला-हौल वला क़ुव्वत