क्या शोख़ अचपले हैं तेरे नयन ममोला जिन कूँ नरख जले हैं सब मनहरन ममोला बर में ख़याल के भी क्यूँकर के आ सके दिल नाज़ुक है जान सेती तेरा बदन ममोला जो इक निगह करो तुम करते हो काम सो तुम सीखे कहाँ सीं हो तुम ये मक्र-ओ-फ़न ममोला आज़ाद सब जगत के आ कर ग़ुलाम होवें जब बूदली बनावे अपना बरन ममोला क़द सर्व चश्म नर्गिस रुख़ गुल दहान ग़ुंचा करता हूँ देख तुम कूँ सैर-ए-चमन ममोला हर रात शम्अ के जूँ जलती है जान मेरी जब सीं लगी है तुम सीं दिल की लगन ममोला