क्या वो देगा सज़ा नहीं मा'लूम By Ghazal << मसअला हल कभी होता नहीं तल... जितना जहाँ से दिल को लगात... >> क्या वो देगा सज़ा नहीं मा'लूम जिस को मेरी ख़ता नहीं मा'लूम मौत का है पता कि आएगी ज़िंदगी का पता नहीं मा'लूम कश्तियाँ दो हैं नाख़ुदा तन्हा हश्र होना है क्या नहीं मा'लूम डोर उलझाई हम ने यूँ 'अख़्तर' कैसे ढूँढें सिरा नहिं मा'लूम Share on: