क्यों हुआ बाब वा उदासी का कुछ बिगाड़ा है क्या उदासी का मैं ने काग़ज़ पे शे'र लिख कर फिर रंग उस में भरा उदासी का मुस्कुराता चला गया फिर मैं दिल बहुत था जला उदासी का तुम मिरे घर दोबारा आए हो फूल फिर से खिला उदासी का मिरी तिश्ना-लबी मिटा साक़ी एक सागर पिला उदासी का किस ने तोड़ा शजर मिरे घर से कि परिंदा उड़ा उदासी का नहीं मा'लूम तुझ को भी 'हमज़ा' तू भी है मंचला उदासी का