लब पे है फ़रियाद अश्कों की रवानी हो चुकी इक कहानी छिड़ रही है इक कहानी हो चुकी मेहर के पर्दे में पूरी दिल-सितानी हो चुकी बंदा-परवर रहम कीजिए मेहरबानी हो चुकी मेरा दिल ताका गया जौर ओ जफ़ा के वास्ते जब कि पूरे रंग पर उन की जवानी हो चुकी जाइए भी क्यूँ मुझे झूटी तशफ़्फ़ी दीजिए आप से और मेरे दिल की तर्जुमानी हो चुकी आ गया ऐ सुनने वाले अब मुझे पास-ए-वफ़ा अब बयाँ रूदाद-ए-दिल मेरी ज़बानी हो चुकी आख़िरी आँसू मिरी चश्म-ए-अलम से गिर चुका सुनने वालो ख़त्म अब मेरी कहानी हो चुकी हम भी तंग आ ही गए आख़िर नियाज़ ओ नाज़ से हाँ ख़ुशा क़िस्मत कि उन की मेहरबानी हो चुकी सुनने वाले सूरत-ए-तस्वीर बैठे हैं तमाम हज़रत-ए-'बहज़ाद' बस जादू-बयानी हो चुकी