लब-ए-ईसा की जुम्बिश करती है गहवारा-जुम्बानी By Ghazal << शाम थी और बर्ग-ओ-गुल शल थ... ज़िंदगी से यही गिला है मु... >> लब-ए-ईसा की जुम्बिश करती है गहवारा-जुम्बानी क़यामत कुश्त-ए-लाल-ए-बुताँ का ख़्वाब-ए-संगीं है बयाबान-ए-फ़ना है बाद-ए-सहरा-ए-तलब 'ग़ालिब' पसीना तौसन-ए-हिम्मत तो सैल-ए-ख़ाना-ए-जीं है Share on: