लर्ज़ां तरसाँ मंज़र चुप आर्मीदा घर घर चुप ये कैसी है राह-बरी राही चुप तो रहबर चुप गोपी-चंद्र डूब गया सहमा हरा समुंदर चुप दुश्मन-ए-ईमाँ पेश-ए-नज़र अंदर हलचल बाहर चुप नक़्क़ाली पर नाज़ाँ था शाइ'र देख के बंदर चुप रात में क्या क्या ऐश हुए तन्हा मैं था बिस्तर चुप हल्की फुल्की एक ग़ज़ल महफ़िल बरहम 'यावर' चुप