लो फ़क़ीरों की दुआ हर तरह आबाद रहो ख़ुद रहो मौजें करो ताज़े रहो शाद रहो ऐरे-ग़ैरे वो जो हों शौक़ से चट कर लो उन्हें पर ख़ुदा वालों की करते हुए इमदाद रहो कुमरी-ए-बाग़-ए-बहिश्त अब जो ये बे-फ़ाख़ता हैं उन्हें भी कह दो कि तुम सर्व से आज़ाद रहो दीद उस की है करो जिस ने बनाया सब कुछ न कि हर लहज़ा फ़िदा-ए-गुल-ओ-शमशाद रहो दाम में से जो छुटे हैं उन्हें ये हुक्म हुआ कि बस अब गर्द-ए-दर-ए-ख़ाना-ए-सय्याद रहो जा के औरों से बदो याद-फ़रामोश वले ख़ु़द-फ़रामोशों को मौला मिरी तुम याद रहो सूरत आवे जो नज़र खींच लो उस की तस्वीर अपने इस वक़्त के तुम मानी-ओ-बहज़ाद रहो चमन-ए-अम्न-ओ-अमाँ के तुम्हें हो सैर-नसीब साईं अल्लाह सदा बर-सर-ए-इरशाद रहो ऐश-ओ-इशरत करो हर वक़्त तुम 'इंशा-अल्लाह' हुस्न चमकाए फिरो सब में परी-ज़ाद रहो