लोग जो साहब-ए-किरदार हुआ करते थे बस वही क़ाबिल-ए-दस्तार हुआ करते थे ये अलग बात वो था दौर-ए-जहालत लेकिन लोग अन-पढ़ भी समझदार हुआ करते थे सामने आ के निभाते थे अदावत अपनी पीठ पीछे से कहाँ वार हुआ करते थे जिन क़बीलों में यहाँ आज दिए हैं रौशन उन क़बीलों के तो सरदार हुआ करते थे तब अदालत से रिआ'यत नहीं मिल पाती थीं तब गुनहगार गुनहगार हुआ करते थे क्या ज़माना था महकती थीं वो क्यारी घर की घर के आँगन गुल-ओ-गुलज़ार हुआ करते थे क़ैद मज़हब की न थी कल के पड़ोसी दोनों एक दूजे के मदद-गार हुआ करते थे घर के सब लोग निभाते थे ख़ुशी से जिन को घर के हर फ़र्द के किरदार हुआ करते थे