लोगों ने हम को शहर का क़ाज़ी बना दिया इस हादसे ने हम को नमाज़ी बना दिया तुम को कहा जो चाँद तो तुम दूर हो गए तश्बीह को भी तुम ने मजाज़ी बना दिया एक और दिन की शाम किसी तर्ह हो गई कुछ दे-दिला के हाल को माज़ी बना दिया बुग़्ज़-ए-मुआविया में सभी एक हो गए इस इत्तिहाद ने मुझे नाज़ी बना दिया ख़ाली अलामतों से मआनी निकाल कर तन्क़ीद को भी शोबदा-बाज़ी बना दिया