महरम-ए-दिल हुआ वो सहरा वा कर कि मालूम वाली-ओ-रुस्वा सोच कर आह-ए-दर्द कूँ आराम दिल हमारा हुआ दरस का गदा मेहर कर मेहर मोम-दिल हो कर कर अता दिल का मुद्दआ' सारा दर्द का घर हुआ हमारा दिल हार गुल का हुआ गुल-ए-सौदा दिल कहा ला-इलाहा इल-लल्लाह विर्द-ए-इस्म-ए-रसूल कर के सदा