महशर की इस घड़ी में हमारा कोई तो हो ऐ रात ऐ फ़िराक़ ख़ुदारा कोई तो हो ये बद-दुआ' नहीं मगर इस दिल का हम-नवा कोई तो हो नसीब का मारा कोई तो हो तिनका है आशियाने की क्या ख़ूब यादगार अच्छा है डूबते को सहारा कोई तो हो सरकार हाथ पाँव तो सब दे गए जवाब इस ना-मुराद दिल का भी चारा कोई तो हो क्या हिज्र क्या विसाल वही आशिक़ों का हाल आख़िर क़रार में भी बेचारा कोई तो हो 'राहील' ग़म के बा'द ख़ुशी भी मिले मगर इस बहर-ए-बे-कराँ का किनारा कोई तो हो