महसूस कर रहा हूँ तुझे ख़ुशबुओं से मैं आवाज़ दे रहा हूँ बड़े फ़ासलों से मैं मुझ को मिरे वजूद से कोई निकाल दे तंग आ चुका हूँ रोज़ के इन हादसों से मैं ये और बात तुझ को नहीं पा सका मगर आया तिरे क़रीब कई रास्तों से मैं तय हो सकेगा मुझ से न ये ज़ात का सफ़र मानूस हो न पाऊँगा तन्हाइयों से मैं है मेरा चेहरा सैकड़ों चेहरों का आईना बेज़ार हो गया हूँ तमाशाइयों से मैं