मैं अँधेरों का पुजारी हूँ मिरे पास न आ अपने माहौल से आरी हूँ मिरे पास न आ रूप-महलों की तू रानी है तिरा नाम बड़ा मैं तो कलियों का भिकारी हूँ मिरे पास न आ मिरी आवाज़ ने कितने ही चमन फूँक दिए नाला-ए-सुब्ह-ए-बहारी हूँ मिरे पास न आ रंज-ओ-आलाम के सहराओं में दरिया बन कर मैं बड़े ज़ोर से जारी हूँ मिरे पास न आ ठीक है दोस्त वही हूँ मैं तिरा 'राम' मगर अब मैं हालात से आरी हूँ मिरे पास न आ