मैं दिल में उन की याद के तूफ़ाँ को पाल कर लाया हूँ एक मौज-ए-तग़ज़्ज़ुल निकाल कर पैमाना-ए-तरब में कहीं बाल आ गया मैं गरचे पी रहा था बहुत ही सँभाल कर महफ़िल जमी हुई है तिरी राह में कोई ऐ गर्दिश-ए-ज़माना बस इतना ख़याल कर आज़ाद जिंस-ए-दिल को फ़क़त इक नज़र पे बेच सौदा गिराँ नहीं न बहुत क़ील-ओ-क़ाल कर ख़त के जवाब में न लगा इतनी देर तू मेरा अगर नहीं है तो अपना ख़याल कर क्यूँ मैं ने दिल दिया है किसे मैं ने दिल दिया ऐ अक़्ल आज मुझ से न इतने सवाल कर ऐ दिल ये राह-ए-इश्क़ है राह-ए-ख़िरद नहीं इस पर क़दम बढ़ा तू ज़रा देख भाल कर फिर इश्क़ बज़्म-ए-हुस्न की जानिब रवाँ है आज दीवानगी को अक़्ल के साँचे में ढाल कर 'आज़ाद' फिर दकन का समुंदर है और तू ले जा दिल ओ नज़र का सफ़ीना सँभाल कर