मैं ही मतलूब ख़ुद हूँ तू है अबस आज से तेरी जुस्तुजू है अबस सादगी में है लाख लाख बनाव आइना तेरे रू-ब-रू है अबस मुझ को दोनों से कुछ मज़ा न मिला दिल अबस दिल की आरज़ू है अबस बाद आब आग ख़ाक गर्द-ए-रूह ज़िश्त-रूयों में ख़ूब-रू है अबस तूर-ओ-मूसा हैं ज़र्रे ज़र्रे में कब तिरा जल्वा चार सू है अबस लिपटे हैं ख़्वाब में वो दुश्मन से हाथ याँ ज़ीनत-ए-गुलू है अबस वाह 'माइल' ख़ुदी में ज़िक्र-ए-अना चुप रहो तुम ये गुफ़्तुगू है अबस