मैं हूँ इक काग़ज़-ए-क़लम-बेज़ार बाद-ए-सरसर में बर्ग-ए-नम बेज़ार अरबी लोग हैं तो होने दो वो ख़ुदा तो नहीं अजम-बेज़ार देख कर बोल चेहरे-बुशरे से नज़र आता हूँ क्या सितम-बेज़ार ऐ गुरेज़ान-ए-आबला-पाई! दश्त-ए-मजनून है क़दम-बेज़ार इक दिल-ए-मुज़्तरिब है पहलू में और सीना है एक-दम बेज़ार रश्क-ए-शाना से पेच खाता हूँ मैं गिरफ़्तार-ए-ज़ुल्फ़-ए-ख़म बेज़ार मुस्तरद दफ़्तर-ए-तरब में हुआ एक उम्मीद-वार-ए-ग़म बेज़ार मुझ से बेज़ार कुल जहाँ है 'शफ़क़'! मैं भी ख़ुद से नहीं हूँ कम बेज़ार