मैं इस लिए भी किसी से वफ़ा नहीं करता नहीं है ऐसा कोई जो दग़ा नहीं करता तुम्हारे हिस्से में आया हुआ दिया हूँ मैं दिया जो आँधी से बिल्कुल डरा नहीं करता जहान-भर की दर-ए-दिल पे भीड़ हो लेकिन सिवा तिरे ये किसी पर खुला नहीं करता ये देखना है कि इज़हार-ए-इश्क़ पर मेरे वो गुल-बदन मुझे हाँ करता या नहीं करता अब इक समर भी नहीं शजर-ए-ख़्वाहिशात पे दोस्त मैं तेरे बाद किसी की दुआ नहीं करता मैं तुझ को चाहता हूँ लेकिन एक मुश्किल है कभी कभी मिरा चाहा हुआ नहीं करता मिरी ख़ुशी के लिए कुछ नहीं क्या तू ने तिरी ख़ुशी के लिए तो मैं क्या नहीं करता