मैं जिस जगह हूँ वहाँ बूद-ओ-बाश किस की है मिरे बदन के कफ़न में ये लाश किस की है तुझे ख़याल में ला कर गुल-ओ-नुजूम के साथ ये देखना है कि अच्छी तराश किस की है ख़याल-ओ-ख़्वाब की गलियों में भी है वीरानी मिरी उदास नज़र को तलाश किस की है तुम्हारा काम नहीं तो फिर इंतिज़ाम है क्या दिल-ओ-जिगर पे ये एक इक ख़राश किस की है जो आप अपनी ही पसमांदगी पे नाज़ करे मैं ख़ुद नहीं तो ये तर्ज़-ए-मआ'श किस की है