मैं क्या बताऊँ कि मक़्सूद-ए-जुस्तुजू क्या है मिरी निगाह को सदियों से आरज़ू क्या है ये राज़ मुझ को बताया तिरी निगाहों ने जो ख़ामुशी है तकल्लुम तो गुफ़्तुगू क्या है जो कोई पूछे तो मैं ख़ुद बता नहीं सकता मिरे शुऊ'र में मफ़्हूम-ए-रंग-ओ-बू क्या है किसे ख़बर है कि कब उस ने बोलना सीखा कोई बताए कि तारीख़-ए-गुफ़्तुगू क्या है जब इस में अहल-ए-जुनूँ ही नहीं हुए शामिल तो फिर ये शहर में तक़रीब-ए-हा-ओ-हू क्या है ये अब्रहा के पुजारी ये अहरमन के सुपूत इन्हें ख़बर ही नहीं है कि सुल्ह-जू क्या है वुफ़ूर-ए-दर्द से आँखें छलकती रहती हैं मैं मस्त-ए-ग़म हूँ मुझे हाजत-ए-सुबू क्या है उखड़ गए हैं बहर-गाम पाँव तूफ़ाँ के ख़ुदा हो साथ तो फिर साज़िश-ए-अदू क्या है 'सिराज' भूल गए तुम भी इस हक़ीक़त को दयार-ए-नंग में तश्कील-ए-आबरू क्या है