मैं ने दरिया को नेकियाँ दीं हैं उस ने बदले में मछलियाँ दीं हैं बच्चे बारिश भी मुझ से माँगते हैं जब से काग़ज़ की कश्तियाँ दीं हैं फ़ाएदे ख़ुद-कुशी के समझा कर उस ने तोहफ़े में रस्सियाँ दीं हैं मुंतज़िर है मिरे उतरने का जिस ने चढ़ने को सीढ़ियाँ दीं हैं ज़ीस्त के राज़ खोलने के लिए चंद साँसों की चाबियाँ दीं हैं उस को मसरूफ़ देख कर मैं ने अपनी फ़ुर्सत को गालियाँ दीं हैं कब मिली मुफ़्त में वफ़ादारी पहले कुत्ते को हड्डियाँ दीं हैं