मैं राज़-ए-ग़म-ए-इश्क़ से बेगाना नहीं हूँ दीवाना मुझे कहते हैं दीवाना नहीं हूँ ऐसा हूँ पियाला जो मोहब्बत से है लबरेज़ भर कर जो छलक जाए वो पैमाना नहीं हूँ वो सोज़-ए-मोहब्बत हूँ जो पिन्हाँ रहे दिल में आ जाए जो लब पर मैं वो अफ़्साना नहीं हूँ मैं आरज़ू-ए-दीद में घुलता हूँ शब-ओ-रोज़ जो शम्अ' पे जल जाए वो परवाना नहीं हूँ अब जादा-ए-उलफ़त में जुनूँ राह-नुमा है गुम-गश्ता-ए-मंज़िल हो वो फ़रज़ाना नहीं हूँ पुर-कैफ़ मय-ए-इश्क़ से पैमाना-ए-दिल है सद-शुक्र कि अब तिश्ना-ए-ख़ुम-ख़ाना नहीं हूँ दाग़-ए-दिल-ए-मजरूह है हम-रंग-ए-गुलिस्ताँ जल्वों का ख़ज़ाना हूँ मैं वीराना नहीं हूँ ख़ुद क़ल्ब मिरा जल्वा-गह-ए-हुस्न-ए-अज़ल है ऐ 'ज़ब्त' मैं जोया-ए-सनम-ख़ाना नहीं हूँ