मैं तो नहीं हूँ इन के जैसी ये तो उड़ना जाने हैं ये जो सब ख़ुश-रंग परिंदे पिंजरे के दीवाने हैं बैठ ज़रा आराम से दिल की डोर मुझे सुलझाने दे उलझी उलझी धड़कन के कमज़ोर से ताने बाने हैं अपनी ख़ाक से दूर सही पर सोंधी है हिजरत की धूल कहने दो कहने वालो को दूर के ढोल सुहाने हैं सिर्फ़ घड़ी की टिक-टिक सुनना मौत से पहले मौत है यार वक़्त से आगे बढ़ कर देखो आगे नए ज़माने हैं ख़ुद को गले से लगाया देखा मन आँगन बरसात के बाद धूप सी आँखें दमक रही हैं भीगे भीगे शाने हैं किस को पता है कितना वक़्त लगेगा इन को भरने में दर्द तो बढ़ता ही जाता है लेकिन ज़ख़्म पुराने हैं ज़ीस्त की ट्रेन में अपने अपने फ़ोन उठाए गुम-सुम से जाने पहचाने रस्तों पर लोग सभी अनजाने हैं तेरे दर पर 'सीमा' 'नक़वी' क्यों आते हैं रोज़ ये संग इक तू ही दीवानी है या बाक़ी सब दीवाने हैं