मैं तो समझा था मिरा किरदार ही मारा गया इस कहानी में कहानी-कार ही मारा गया दुश्मनी करने का फिर क्या फ़ाएदा है तू बता मैं तिरे हाथों अगर बे-कार ही मारा गया मैं ख़याल-ए-यार की सोचों को सोचूँ किस तरह मैं ख़याल-ए-यार में सौ बार ही मारा गया फिर मोहब्बत हो गई हम को तुम्हारी याद से फिर दिल-ए-बिस्मिल दिल-ए-बीमार ही मारा गया अब तो जीने की कोई सूरत नहीं आती नज़र अब तो मरने दो कि मेरा यार ही मारा गया हम पे ऐसा हादिसा गुज़रा मोहब्बत में 'वक़ास' हम रहे ज़िंदा हमारा प्यार ही मारा गया