मैं तुझे वाह क्या तमाशा है ज़ेहन में आश्ना तराशा है हाथ में रखियो तू सँभाले हुए दिल तो मेरा ये सीशा-बाशा है तू जो तोले है मेरे मन की चाह कुछ तिरे हाँ भी तोला-माशा है क्या कहूँ तेरी काविश-ए-मिज़ा ने किस तरह से जिगर ख़राशा है ख़ैर गुज़रे 'असर' तू है बेबाक और वो शोख़ बे-तहाशा है