मैं वही दश्त हमेशा का तरसने वाला तू मगर कौन सा बादल है बरसने वाला संग बन जाने के आदाब सिखाए मैं ने दिल अजब ग़ुंचा-ए-नौ-रस था बिकसने वाला हुस्न वो टूटता नश्शा कि मोहब्बत माँगे ख़ून रोता है मिरे हाल प हँसने वाला रंज ये है कि हुनर-मंद बहुत हैं हम भी वर्ना वो शोला-ए-इसयाँ था झुलसने वाला वो ख़ुदा है तो मिरी रूह में इक़रार करे क्यूँ परेशान करे दूर का बसने वाला