मज़ा जब है उसे बर्क़-ए-तजल्ला देखने वाले जमाल-ए-यार में तहलील हो जा देखने वाले नज़र आती तुझे हर ख़ाक के ज़र्रे में इक दुनिया निगाह-ए-ग़ौर से तू ने न देखा देखने वाले तुझे नज़दीक से भी एक दिन वो देख ही लेंगे तसव्वुर में तिरा हुस्न-ए-दिल-आरा देखने वाले ख़बर भी है तुझे कुछ ये तमाशा-गाह-ए-आलम है तमाशा ख़ुद न बन जाना तमाशा देखने वाले हरीम-ए-तूर का 'सीमाब' जब उठने लगा पर्दा निदा ये ग़ैब से आई सँभल जा देखने वाले